जब भी कोई श्रद्धा के साथ बाबाजी का नाम लेता है, उसे तत्क्षण आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त होता है।
— लाहिड़ी महाशय
वे महावतार बाबाजी ही हैं जिन्होंने प्राचीन लुप्त वैज्ञानिक ध्यान की प्रविधि क्रियायोग को वर्तमान काल में पुनर्जीवित किया है… 1920 में परमहंस योगानन्दजी के अमेरिका जाने से कुछ समय पहले, महावतार बाबाजी कोलकाता में योगानन्दजी के घर आए, जहाँ वह युवा संन्यासी उस मिशन के बारे में दिव्य आश्वासन के लिए गहराई से प्रार्थना कर रहे थे, जिसे वे आरंभ करने वाले थे। बाबाजी ने उन्हें कहा “अपने गुरु की आज्ञा का पालन करो और अमेरिका चले जाओ। डरो मत; तुम्हारा पूरा सरंक्षण किया जायेगा। तुम ही वह हो जिसे मैंने पाश्चात्य जगत् में क्रियायोग के प्रसार के लिए चुना है।”
महावतार बाबाजी स्मृति दिवस के अवसर पर योगदा सत्संग शाखा आश्रम – द्वाराहाट में 24 व 25 जुलाई को दो-दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। 24 जुलाई को वाईएसएस संन्यासी द्वारा वाईएसएस ध्यान तकनीकों की पुनरवलोकन कक्षाएं आयोजित किया गया। अगले दिन 25 जुलाई को महावतार बाबाजी की गुफा तक शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा आश्रम से आरंभ हुई। महावतार बाबाजी की गुफा पर ध्यान, भजन-सत्र और भंडारा आयोजित किया गया।
शाम को आश्रम में एक विशेष ध्यान-सत्र का आयोजन हुआ।
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