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हम आपको श्री श्री परमहंस योगानन्द की शिक्षाओं के माध्यम से आत्मा की शांति, आनन्द और ज्ञान की जीवन-परिवर्तनकारी खोज हेतु हमारे साथ यात्रा करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं के मूल में ध्यान प्रविधियों की एक शक्तिशाली प्रणाली है : क्रियायोग ध्यान का विज्ञान। आत्मा का यह प्राचीन विज्ञान उच्च आध्यात्मिक चेतना और दिव्य अनुभूति के आंतरिक आनंद को जागृत करने के लिए शक्तिशाली तरीके प्रदान करता है।
क्रियायोग विज्ञान की वास्तविक प्रविधियाँ परमहंस योगानन्दजी द्वारा योगदा सत्संग पाठमाला में सिखाई गई हैं। पाठ उनके प्रकाशित लेखों में अद्वितीय हैं, क्योंकि यह ध्यान, एकाग्रता, तथा शक्ति संचार, और आध्यात्मिक रूप से संतुलित और सफल जीवन जीने के बारे में चरणबद्ध तरीके से निर्देश प्रदान करते हैं।
जीवन-भर चलने वाले विकल्पों के साथ अपनी गति से अध्ययन करें।
आपके अन्तर् में ईश्वर को जगाना ही मेरा एकमात्र उद्देश्य है। आप आध्यात्मिक मार्ग पर जहाँ तक जाना चाहें, मैं आपका मार्गदर्शन कर सकता हूँ; और यदि आप इन पाठों में दी गईं प्रविधियों का अभ्यास करेंगे तो आप अपनी प्रगति में कभी भी गतिहीनता का अनुभव नहीं करेंगे।
— परमहंस योगानन्द
सभी शिष्य यहाँ से प्रारम्भ करते हैं : वाईएसएस की ध्यान, एकाग्रता और शक्ति संचार प्रविधियों के साथ-साथ संतुलित आध्यात्मिक जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को सीखना।
क्रियायोग प्रविधि की दीक्षा और निर्देश तथा परमहंस योगानन्दजी के साथ गुरु-शिष्य संबंध स्थापित करना
यह पाठमाला मूलभूत श्रृंखला में सिखाए गए आदर्श जीवन के सिद्धांतों और ध्यान प्रविधियों का और अधिक विवरण देती है
अपनी योगी कथामृत में, परमहंस योगानन्दजी ने योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के कार्य संचालन के पीछे प्रबुद्ध गुरुओं की वंशावली का परिचय दिया : महावतार बाबाजी, लाहिड़ी महाशय, और स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी। वह वर्णन करते हैं कि कैसे इन पूर्णतः ईश्वर-प्राप्त गुरुओं ने उन्हें ईश्वर-प्राप्ति के लुप्त, प्राचीन क्रियायोग विज्ञान को पश्चिम में लाने और इसे विश्व-भर में फैलाने के लिए चुना और तैयार किया।
आत्म-साक्षात्कार हेतु योगदा सत्संग पाठमाला उन लोगों के लिए हैं जो परमहंस योगानन्दजी द्वारा योगी कथामृत में वर्णित ध्यान के क्रियायोग पथ का वास्तविक अभ्यास करना चाहते हैं। उन्होंने समझाया :
“जनसाधारण के लिए उपलब्ध पुस्तक में मैं प्रविधियों को नहीं दे सकता; क्योंकि वे पवित्र हैं, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें श्रद्धा और गोपनीयता के साथ प्राप्त किया गया है, पहले कुछ प्राचीन आध्यात्मिक आदेशों का पालन किया जाना चाहिए, और उसके बाद सही ढंग से अभ्यास किया जाना चाहिए।”
परमहंस योगानन्दजी द्वारा उनकी शिक्षाओं को प्रसारित करने और उनके मिशन की निरंतर पूर्ति के लिए स्थापित संगठन, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप) द्वारा प्रस्तुत पाठमाला हेतु नामांकन, उन सभी के लिए उचित मार्गदर्शन और इष्टतम लाभ सुनिश्चित करेगा जो विश्व के लिए उनके द्वारा लाई गई पवित्र ध्यान प्रविधियों के मार्ग का अनुसरण और अभ्यास करना चाहते हैं।
पाठमाला परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं का मूल हैं
परमहंस योगानन्दजी ने सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप/योगदा सत्संग पाठमाला को उन शिक्षाओं के मूल के रूप में देखा, जिन्हें उन्हें आने वाली वैश्विक सभ्यता के लिए एक विशेष आध्यात्मिक व्यवस्था के रूप में विश्व में लाने के लिए नियुक्त किया गया था।
जनसाधारण के लिए अपनी कई प्रशंसित पुस्तकों में छपे अपने व्याख्यानों और लेखों में, परमहंसजी आध्यात्मिक जीवन के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन का खजाना प्रदान करते हैं — परिवर्तन के इस विश्व में निरंतर चुनौतियों और अवसरों के बीच प्रसन्नता और सफलतापूर्वक कैसे जिएं। योगदा सत्संग पाठमाला उन लोगों के लिए हैं जो उस प्रेरणा को दैनिक आध्यात्मिक अभ्यास में बदलना सीखना चाहते हैं।
यह पाठ परमहंस योगानन्दजी के प्रकाशित कार्यों में अद्वितीय हैं, क्योंकि वे क्रियायोग सहित ध्यान, एकाग्रता और शक्ति संचार की उनके द्वारा सिखाई गई योग प्रविधियों के बारे में चरण-दर-चरण निर्देश देते हैं।
ये सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी योग प्रविधियाँ सीधे प्राण शक्ति और चेतना के साथ काम करती हैं, जिससे आप शरीर को जीवन शक्ति से भर सकते हैं, मन की असीमित शक्ति को जागृत कर सकते हैं, और अपने जीवन में दिव्यता के बारे में निरंतर गहरी जागरूकता का अनुभव कर सकते हैं — आध्यात्मिक चेतना और ईश्वर से मिलन की उच्चतम अवस्था में परिणत होते हुए।
चूँकि योग किसी विशेष विश्वास समूह के पालन के बजाय अभ्यास और अनुभव पर आधारित है, सभी धर्मों के अनुयायी — साथ ही वे लोग जो किसी धार्मिक मार्ग से नहीं जुड़े हैं — पाठमाला की मूल श्रृंखला में दी गयी आध्यात्मिक शिक्षाओं और उनमें सिखाई गई प्रविधियों से लाभ उठा सकते हैं। जब नियमित रूप से अभ्यास किया जाता है, तो ये विधियाँ हमेशा आध्यात्मिक जागरूकता और धारणा के गहरे स्तर तक ले जाती हैं।
योगदा सत्संग की शिक्षाएँ शरीर, मन, एवं आत्मा का एक सामंजस्यपूर्ण विकास प्रदान करती हैं। मैं मतान्ध धर्म का एक नया सम्प्रदाय खड़ा करने नहीं आया हूँ, अपितु एक ऐसी अद्भुत प्रविधि लाया हूँ जिसके माध्यम से आप अपने शरीर, मन, एवं आत्मा को ईश्वर-एकाकर की सर्वोच्च अवस्था के साथ तदात्म कर सकते हैं।
— परमहंस योगानन्द
घरेलू अध्ययन के लिए परमहंस योगानन्दजी की पाठमाला, जो भारत में केवल योगदा सत्संग सोसाइटी के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है, मूल रूप से गुरुदेव द्वारा अमेरिका में उनके युगांतरकारी मिशन के दौरान विकसित की गई। 1920 और 30 के दशक में, परमहंसजी ने पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की, और एक तट से दूसरे तट तक प्रमुख शहरों में वाईएसएस/एसआरएफ़ शिक्षाओं पर सार्वजनिक व्याख्यान दिए, जिसमें दसियों हज़ारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया।
प्रत्येक शहर में एक से दो सप्ताह तक चलने वाली अपनी सार्वजनिक व्याख्यान श्रृंखला के बाद, उन्होंने उन लोगों को जो गहन अध्ययन और निरंतर साधना करना चाहते थे उन्हें सेल्फ़-रियलाइजे़शन (योगदा सत्संग) पाठमाला कक्षाओं की अतिरिक्त श्रृंखला की शिक्षाओं और ध्यान प्रविधियों की जो उन्होंने अगले कई सप्ताहों तक प्रत्येक रात आयोजित कीं, के लिए नामांकन हेतु आमंत्रित किया। प्रारम्भिक वर्षों में, छात्रों को प्रत्येक कक्षा में विषय वस्तु के बारे में संक्षिप्त मुद्रित रूपरेखा नोट्स प्रदान किए जाते थे।
1934 में उन्होंने गृह अध्ययन के लिए मुद्रित पाठों के व्यापक सेट के पहले संस्करण की घोषणा की।
उस अवसर पर उनके शब्द इस प्रकार हैं :
“चौदह वर्षों से मैं दिन-रात विचार करता रहा हूँ कि शिष्यओं को उस आध्यात्मिक जागृति का निरंतर प्रवाह कैसे दिया जाए जो यह आश्वासन दे कि वे फिर कभी सुप्तावस्था में नहीं जाएंगे। इसलिए मैंने उन्हें साप्ताहिक पाठ भेजने की योजना बनाई है। वे अगले सप्ताह प्रारम्भ होंगे और उसके बाद हर सप्ताह आएंगे। हम उन्हें प्रारम्भ करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। देश के सभी हिस्सों से शिष्यओं ने पूछा है, ‘आप साप्ताहिक पाठ क्यों नहीं देते?’ अन्ततः मुझे वह योजना मिल गई है जिसे मैं जानता हूँ कि यह हज़ारों आत्माओं को मुक्त करने में सहायक होगी।”
इस प्रकार सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप पाठमाला की उत्पत्ति हुई — और शीघ्र ही भारत में योगदा सत्संग पाठमाला के रूप में उनका उद्घाटन किया गया। यह शृंखला 1934 से लेकर 1938 तक कई वर्षों के दौरान तैयार की गई थी। अपने 1935–36 के भारत दौरे के दौरान, परमहंसजी ने भारत में भक्तों को वितरित करने के लिए पाठों के एक वाईएसएस संस्करण की व्यवस्था की। उनके निर्देशन में, पाठ की शब्दावली को भारतीय भक्तों के लिए थोड़ा अनुकूलित किया गया, यद्यपि शिक्षा, साधना और ध्यान प्रविधियाँ एक समान थीं। यह पाठमाला, कुछ सुधारों और संशोधनों के साथ, 2019 तक प्रचलन में रही।
गुरुजी ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष नई सामग्री की रचना करने और अपने पहले जारी किए गए कार्यों की समीक्षा करने में सक्रिय रूप से बिताए। अन्य परियोजनाओं के अलावा, उन्होंने श्री मृणालिनी माता (जो उस समय एक युवा शिष्या थीं, और बाद में सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप/योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के चौथे अध्यक्ष के रूप में कार्य किया) के साथ व्यक्तिगत रूप से पाठमाला पर काम किया। परमहंसजी ने उनके साथ पाठमाला प्रस्तुति की समीक्षा की और उन्हें कई समस्याओं और कमियों पर ध्यान देते हुए, जिन्हें वे संबोधित करना चाहते थे, गहन पुनरीक्षण के निर्देश दिए। उन्होंने उनसे कहा कि वह पाठमाला के पहली बार संकलित होने के बाद के वर्षों में उनके द्वारा दिए गए कई लेखों और वार्ताओं के सार में से सामग्री लें। उन्होंने उनसे कहा, “पाठमाला ही तुम्हारे जीवन का कार्य होगा।”
उस “जीवन के कार्य” का परिणाम ही वर्तमान श्रृंखला है, जो 2017 में उनके देहावसान से कुछ समय पहले पूरी हुई थी — जिसमें बहुत उन्नत रूप से व्यवस्थित और परमहंसजी की नई सामग्री का खजाना है जो 1934 के मूल संकलन में उपलब्ध नहीं था। वाईएसएस पाठमाला का यह नया संस्करण अब तक का सबसे व्यापक संस्करण है, और इसमें बहुत अधिक प्रेरणा और शिक्षण सम्मिलित है जो इससे पहले कभी प्रकाशित नहीं हुआ।
31 जनवरी, 2019 को एसआरएफ़ अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा आयोजित वाईएसएस/एसआरएफ़ पाठमाला के नए संस्करण के उद्घाटन के अंश। यह कार्यक्रम दुनिया-भर में वाईएसएस/एसआरएफ़ सदस्यों और मित्रों के लिए सीधे प्रसारित किया गया। पूरे कार्यक्रम का वीडियो भी उपलब्ध है
आध्यात्मिक गौरव ग्रन्थ योगी कथामृत के लेखक परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं के माध्यम से आत्मा की शांति, आनंद और ज्ञान की जीवन-परिवर्तनकारी जागृति का अनुभव करें।
एसआरएफ़/वाईएसएस ऐप सभी के लिए है — चाहे आप परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं में बिल्कुल नए हों या दशकों से इस महान शिक्षक के ज्ञान में डूबे हुए हों। यह उन लोगों के लिए भी है जो ध्यान, क्रियायोग के विज्ञान और आध्यात्मिक रूप से संतुलित जीवन जीने के व्यावहारिक तरीकों के बारे में अधिक सीखना चाहते हैं।
विशेषतायें :
इस ऐप में वाईएसएस/एसआरएफ़ क्रियायोग शिक्षाओं को अपने दैनिक जीवन में लागू करने में सहायता हेतु मल्टीमीडिया सामग्री की समृद्ध विविधता के साथ-साथ आपके पाठों के डिजिटल संस्करण भी सम्मिलित हैं।
इसमें सम्मिलित है :
यदि आप वाईएसएस/एसआरएफ़ पाठमाला शिष्य हैं, तो कृपया ऐप में पाठमाला तक पहुँचने के लिए अपनी सत्यापित खाता जानकारी का उपयोग करें।
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