जब भी कोई श्रद्धा के साथ बाबाजी का नाम लेता है, उसे तत्क्षण आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त होता है।
— लाहिड़ी महाशय
25 जुलाई के दिन को हम महावतार बाबाजी के सम्मान में मनाते हैं, जिन्होंने इस युग में क्रियायोग की लुप्त हुई वैज्ञानिक ध्यान प्रविधि को पुनर्जीवित किया।
1920 में आज ही के दिन, परमहंस योगानन्दजी के संयुक्त राज्य अमेरिका जाने से कुछ समय पहले, बाबाजी उनके पास कोलकाता स्थित उनके घर आए थे। युवा योगानन्द जिस मिशन को शुरू करने वाले थे, उसके सम्बन्ध में दैवीय आश्वासन के लिए गहराई से प्रार्थना कर रहे थे; और जब महावतार बाबाजी आए, तो उन्होंने इनसे कहा : “अपने गुरु की आज्ञा का पालन करो और अमेरिका चले जाओ। डरो मत; तुम्हारा पूर्ण संरक्षण किया जाएगा। तुम ही वह हो जिसे मैंने पाश्चात्य जगत् में क्रियायोग का प्रसार करने के लिये चुना है।”
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) इस विशेष दिन को महावतार बाबाजी स्मृति दिवस के रूप में मनाती है। एक वाईएसएस संन्यासी ने महावतार बाबाजी के सम्मान में इस विशेष कार्यक्रम के रूप में एक ऑनलाइन ध्यान का संचालन किया।
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