“गुरु एक जागृत ईश्वर है, जो शिष्य के भीतर सुप्त ईश्वर को जगा रहा है।…गुरु ही, सभी मनुष्यों में सर्वोत्तम दाता है। ईश्वर के समान ही, उनकी उदारता की भी कोई सीमा नहीं।”
— श्री श्री परमहंस योगानन्द
प्रिय दिव्य आत्मन्,
भारत में गुरुदेव के आश्रमों से हार्दिक अभिनन्दन! गुरु पूर्णिमा (21 जुलाई) का पवित्र दिवस निकट आने पर हमारे हृदय गुरुदेव एवं योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के संस्थापक, श्री श्री परमहंस योगानन्द तथा योगदा सत्संग की गुरु-परम्परा के प्रति श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हैं। आध्यात्मिक मार्ग पर एक गुरु अर्थात् ईश्वर के साथ एक हुई आत्मा — जो हमारी मायाबद्ध मानवीय प्रकृति से हमें ईश्वर में असीम मुक्ति की ओर ले जा सकते हैं — की ओर आकर्षित होने से बड़ा अन्य कोई उपहार नहीं हो सकता है।
गुरु द्वारा प्रदत्त आध्यात्मिक निधियों के प्रति कृतज्ञता तथा अपनी भक्ति प्रकट करने के लिए योगदा भक्त योगदा सत्संग सोसाइटी के कार्य — भारत में परमहंसजी की शिक्षाओं और विरासत का माध्यम और मूर्त रूप — में सहायता के सुअवसर खोजने के उद्देश्य से प्रायः हमसे सम्पर्क करते हैं। इस सन्देश में हम आपसे ऐसे ही कुछ सुअवसरों को साझा कर रहे हैं जहाँ हमें हाल ही के महीनों में प्रारम्भ की गई अति आवश्यक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भक्तों से आर्थिक सहायता की आवश्यकता है :
- योगदा सत्संग सोसाइटी के दक्षिणेश्वर आश्रम में परिसर का विस्तार और अतिथि सुविधाओं में सुधार
- योगदा सत्संग सोसाइटी के तीव्र विकास के अनुरूप प्रतिभाशाली भक्तों की नियुक्ति
- योगदा सत्संग सोसाइटी राँची आश्रम का नवीनीकरण कार्य
इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत ₹10 करोड़ है।
समकालीन मानकों के अनुरूप हमारे आश्रम की सुविधाओं में सुधार करते हुए, हमने आध्यात्मिक वातावरण को संरक्षित रखने का प्रयास किया है जो योगदा सत्संग सोसाइटी के आश्रमों की पहचान रही है। इस प्रकार यह सुनिश्चित किया गया है कि भक्तों को पहले जैसा ही उत्कृष्ट अनुभव प्राप्त होता रहे। हमारे आश्रमों में आपका स्वागत है। आपसे अनुरोध है कि आप यहाँ आकर इन नयी सुविधाओं का उपयोग करें, ईश्वर के साथ सम्पर्क और आध्यात्मिक अध्ययन में अपना समय व्यतीत करें, और इस प्रकार इस पवित्र वातावरण में स्वयं को नवीकृत करें और एक नयी ऊर्जा से भर दें।
इन पवित्र स्थलों, जहाँ हजारों व्यक्ति आध्यात्मिक नवीकरण के लिए आते है, के निर्माण अथवा नवीनीकरण में — आर्थिक योगदान, सेवा या प्रार्थनाओं के माध्यम से — आपकी सहायता के लिये हम आपके अत्यन्त आभारी हैं। ईश्वर की खोज के उद्देश्य से संगठित गुरुजी के विश्वव्यापी परिवार के अंग के रूप में आपको पाकर हम सम्मानित अनुभव करते हैं।
श्री श्री परमहंस योगानन्द ने कहा है, “मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि मैं इस कार्य में रुचि रखने वाले सभी लोगों का व्यक्तिगत रूप से ध्यान रखता हूँ। मैंने आपको अपने व्यक्तिगत प्रेम के संरक्षण में रखा है। इस संसार में और इससे परे आपकी प्रगति के लिए मैं आपकी सहायता करने का भरसक प्रयास करूँगा।”
इस गुरु पूर्णिमा पर प्रचुर मात्रा में गुरुदेव के दिव्य प्रेम का प्रकाश आपके जीवन को संतृप्त कर दे। जय गुरु!
दिव्य मैत्री में,
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया
पूरी अपील नीचे पढ़ें :
पावन गंगा नदी के तट पर स्थित इस पवित्र आश्रम का अधिग्रहण गुरुजी के समय में किया गया था और तब से यह हजारों भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक शरणस्थली बन गया है। प्रतिदिन यहाँ शान्ति की खोज में आने वाले भक्तों और अतिथियों की लगातार बढ़ती हुई संख्या के आवास की अनुकूल व्यवस्था करने के लिए, हम आश्रम की निकटवर्ती भूमि का अधिग्रहण कर परिसर का विस्तार करने और आधुनिक मानकों के अनुसार अतिथियों की सुविधाओं में वृद्धि करने की योजना बना रहे हैं।
अतिथियों के ठहरने की सुविधाओं में सुधार : अतिथि गृह में सभी कमरों का पूरी तरह नवीनीकरण किया गया है, और अब नये बिस्तर, गद्दे, परदे, गलीचे, स्नानघर के उपकरण, फर्नीचर इत्यादि की व्यवस्था की गयी है। गर्मी के महीनों में भी आवास को सुविधाजनक बनाने के लिए कमरों में वातानुकूलन की व्यवस्था की गयी है। अतिथि गृह के गलियारों में नयी टाइलें लगाई गई हैं और पूरे भवन को पुनः पेंट किया गया है।
रसोईघर और भोजन कक्ष की सुविधाओं का आधुनिकीकरण : कार्य करने के लिए स्वच्छ एवं कार्यक्षम वातावरण का निर्माण करने के लिए प्रमुख रसोईघर में अच्छे डिज़ाइन, नए चूल्हों और उपकरणों, और बेहतर प्रकाश की व्यवस्था के साथ सुधार किया गया है। आश्रम में रहने वाले, रविवार के सत्संग में भाग लेने वाले, और पूरे सप्ताह भर आने वाले भक्तों की बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए भोजन कक्ष का दो स्तरों पर विस्तार किया गया है और नयी मेजों और कुर्सियों के साथ उसका पूर्ण रूप से नवीनीकरण किया गया है।
भक्त अनेक प्रशंसात्मक पत्र भेजते रहते हैं, जिनमें से दो पत्र यहाँ उद्धृत हैं :
“मैं (हाल ही में) दक्षिणेश्वर में था। जब मैंने आश्रम में प्रवेश किया तो वहाँ स्पष्ट रूप से शान्ति का अनुभव किया जा सकता था…अतिथि आवासों में और आसपास की स्वच्छता अत्यंत उच्च स्तर की थी। नए निर्मित रसोईघर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी और वह अत्यन्त सुव्यवस्थित था। वातावरण शान्त था और आतिथ्य में कोई कमी नहीं थी, जिसने मेरी यात्रा को वस्तुतः समृद्ध बना दिया।” — एस. सी., उत्तर प्रदेश
अतिथिगृह के नवीकृत कमरों का निर्माण अत्यन्त सुविधापूर्ण और रुचिकर ढंग से किया गया है। मैं अप्रैल की गर्मी के समय दक्षिणेश्वर गया था और मैं वहाँ अद्भुत ढंग से ध्यान कर सका। वातानुकूलित कमरों के लिए धन्यवाद — मुझे गर्मी का अनुभव ही नहीं हुआ।” — एच. के., पश्चिम बंगाल
पवित्र परिसर का विस्तार : रविवारीय सत्संग, विशेष स्मरणोत्सव, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के समय भक्तों की बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए वर्तमान ध्यान मंदिर अत्यन्त छोटा है। अस्थायी समाधान के लिए हमने प्रमुख भवन के बरामदे के खुले स्थानों को भारी नीले पर्दों से ढककर और वातानुकूलित करके ध्यान कक्ष बना दिया है। इन प्रयासों के बाद भी यह व्यवस्था अपर्याप्त सिद्ध हुई है।
कहने की आवश्यकता नहीं है कि भक्तों की बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए एक बड़े ध्यान कक्ष का निर्माण अत्यावश्यक है।
ईश्वर और गुरुदेव की कृपा से दक्षिणेश्वर आश्रम से लगे हुए दो भूखण्ड (आश्रम अतिथिगृह के उत्तर में) बिक्री के लिए उपलब्ध थे, जिन्हें अब योगदा सत्संग सोसाइटी ने खरीद लिया है। योगदा सत्संग सोसाइटी अपनी सुविधाओं का विस्तार कर सकती है, और दक्षिणेश्वर आश्रम में लगातार बढ़ती हुई संख्या में आने वाले अतिथियों और आगंतुकों के लिए एक बड़े ध्यान कक्ष का निर्माण किया जा सकता है।
हाल के वर्षों में योगदा सत्संग सोसाइटी ने नए पंजीकरणों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है, जो गुरुजी की शिक्षाओं के स्थायी आकर्षण का प्रमाण है। इसके अतिरिक्त वर्तमान डिजिटल युग हमें अनेक कार्य क्षेत्रों को डिजिटाइज़ और स्वचालित करने के लिए बाध्य करता है, जैसे वित्त, पुस्तकों और पाठमाला का वितरण, भक्तों के साथ पत्राचार, वेब डिज़ाइन, और सोशल मीडिया। हमारे विस्तृत होते भक्तों के परिवार की प्रभावशाली ढंग से सेवा करने, और आसपास के तीव्रता से बदलते हुए संसार से कदम मिलाकर चलने के लिए हम कुछ नवीन डिजिटल मंच प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन को रूपान्तरित करने वाली गुरुजी की शिक्षाओं तक पहुँचना और लाभ उठाना सरल हो जाएगा।
इस विकास के साथ-साथ, सरकार द्वारा नियन्त्रण और अनुपालन की आवश्यकताएँ भी बढ़ गयी है। हमारे संन्यासी मुख्यतः आध्यात्मिक कार्यक्रमों के संचालन, प्रवचनों, और परामर्श देने पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं, परन्तु उनके लिए कार्यों के संचालन की इन बढ़ती हुई मांगों का सामना करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने और हमारे सन्यासियों को इस कार्य से मुक्ति देने के लिए — ताकि वे भक्तों की बढ़ती हुई सदस्यता की आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकें — योगदा सत्संग सोसाइटी ने हाल ही में हमारे भक्त-समुदाय से प्रतिभाशाली व्यवसायिकों की नियुक्ति की है। विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे इन समर्पित व्यक्तियों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं :
- आई टी प्रोफ़ेशनल : गुरुदेव की शिक्षाओं के डिजिटल प्रसार का नेतृत्व करना
- डॉक्टर : हमारे धर्मार्थ चिकित्सालयों में सेवा प्रदान करना
- चार्टर्ड एकाउंटेंट : हमारी वित्तीय अखण्डता और अनुपालन को सुनिश्चित करना
- संगठनात्मक विकास विशेषज्ञ : हमारे आन्तरिक परिचालन में सुधार करना और उसे सुव्यवस्थित बनाना
- अन्य अनिवार्य कर्मचारी : विभिन्न अति-आवश्यक कार्यों में सहायता करना
सौभाग्य से ये भक्त न केवल अपने कार्यों में उत्कृष्ट हैं, अपितु गुरुजी के भाव को भी अपने कार्यों में मूर्त रूप देते हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि परिचालन की क्षमता के विस्तार के साथ-साथ हम अपने लक्ष्य के मूलतत्त्व को भी बनाए रख सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, हाल की सरकारी अधिसूचनाओं के अनुसार अप्रशिक्षित और अर्ध-प्रशिक्षित श्रमिकों, उदाहरणार्थ माली, रसोइये, और अन्य कर्मचारियों, के न्यूनतम पारिश्रमिक को भी पर्याप्त रूप से बढ़ा दिया है। इन परिवर्तनों के साथ-साथ व्यवसायिकों की नियुक्ति की हमारी आवश्यकता के कारण हमारा वार्षिक वेतन खर्च ₹2 करोड़ बढ़ गया है।
जन्मोत्सव के समय जारी अपने पूर्व सूचना-पत्र में हमने राँची आश्रम में प्रारम्भ की गयी कुछ महत्वपूर्ण नवीकरण परियोजनाओं के बारे में सूचित किया था, जिसका लक्ष्य एक ऐसे वातावरण का सृजन करना था जो आध्यात्मिक विकास और पुनर्जीवन के लिए सहायक हो। हमें यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि इन निर्माण कार्यों में पर्याप्त प्रगति हुई है :
- अतिथि गृहों का सुधार : मुख्य अतिथि गृह और महिला अतिथि गृह दोनों के निर्माण का कार्य समाप्ति की ओर है, और हमें आशा है कि ये दोनों भवन अक्टूबर 2024 तक पूर्ण रूप से उपयोग के योग्य हो जाएंगे। इन भवनों के नवीकरण में शयनागारों को व्यक्तिगत/पारिवारिक कमरों में परिवर्तित करना, संरचनात्मक क्षतियों की मरम्मत, और महिला अतिथि गृह में एक अतिरिक्त तल का निर्माण कर उसकी आवासीय क्षमता को बढ़ाना सम्मिलित है।
- सभागार का नवीकरण : 1,100 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता वाले सभागार का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है और जनवरी 2025 के प्रारम्भ में इसके पूर्ण होने की आशा है। विस्तृत नवीकरण में छत को उष्मारोधी शीट के साथ फिर से बनाना, और अत्याधुनिक ऑडियो-वीडियो उपकरणों और वातानुकूलित प्रणाली को लगाना सम्मिलित है।
सहायक परियोजनाएँ : उपर्युक्त परियोजनाओं के साथ, हमने आश्रम के अन्दर कुछ पुराने भवनों के नवीकरण का कार्य प्रारम्भ किया है। इनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं :
- मैदान में पुराने मण्डप (जो संगम के समय स्वागत और पंजीकरण के लिए प्रयुक्त होते थे)
- सभागार के पास शौचालय ब्लॉक
- कर्मचारियों के आवास और भंडारण क्षेत्र
नवीकृत सभागार और अतिथियों के अतिरिक्त कमरों के कारण विद्युत क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता पड़ी, तथा 50 किलोवॉट का एक नया ट्रांसफार्मर और 125 केवीए का डीजी सेट लगाना अनिवार्य हो गया।
वित्तीय विवरण और भविष्य की आवश्यकताएँ : राँची आश्रम में इन परियोजनाओं के लिए, हमें आपकी उदारता के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान प्राप्त हुआ है। इन महत्वपूर्ण नवीनीकरण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त ₹ 4 करोड़ की आवश्यकता है।
हम आपके सहयोग के लिए कृतज्ञता का अनुभव करते हैं और शीघ्र ही इन नवीकृत भवनों में आपके स्वागत की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
गुरुदेव के मिशन के प्रति आपके अटूट समर्थन और समर्पण की हम सराहना करते हैं। आपकी मदद से, हमें राँची और दक्षिणेश्वर आश्रमों में सुविधाओं को बढ़ाने और हमारे निरंतर विकास का समर्थन करने के लिए समर्पित कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए आवश्यक ₹ 10 करोड़ प्राप्त होने की उम्मीद है।
हमारी प्रार्थनाएँ और मित्रता हमेशा आपके साथ हैं।