17 सितम्बर को, एक वाईएसएस संन्यासी ने “साधना और सेवा में प्रेम का महत्त्व” विषय पर हिन्दी में एक प्रेरणाप्रद प्रवचन दिया।
परमहंस योगानन्दजी की आदर्श-जीवन शिक्षाओं पर आधारित इस ऑनलाइन प्रवचन में, स्वामीजी ने आध्यात्मिक साधना और सेवा के पथ पर प्रेम के महत्त्व के बारे में बताया — और कैसे अपनी गतिविधियों को ईश्वर को अर्पित करना सीखकर, हम अपने जीवन के हर पहलू को आध्यात्मिक बना सकते हैं।
परमहंस योगानन्दजी ने कहा : “आप यदि अपने दिव्य प्रियतम के लिए कार्य करेंगे, तो आपका जीवन प्रेम और शक्ति से भर जाएगा। दिनभर की सभी गतिविधियों को आंतरिक रूप से ईश्वर को समर्पित करें; और जब कार्य पूरा हो जाए, तो मौन के मन्दिर में उसके साथ वार्तालाप करें।”